इश्मीत सिंह हमेशा से ही खुली आंखों से सपने देखते थे और ना केवल सपने देखते थे बल्कि उन सपनों को हकीकत में बदलने का संकल्प भी रखते थे वह कहते हैं ना… जब तक ना सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्षों के इस मैदान को, छोड़कर ना भागो तुम. ठीक इसी तरह वह अपनी जिंदगी में सभी आने वाली मुश्किलों को नजरअंदाज करते हुए अपनी सफलता के पथ पर निकल पड़े और उन्हें शायद यह उम्मीद थी कि मेरी मेहनत बेकार नहीं जाएगी और शायद इसी वजह से आज हम सबके बीच उनकी अलग ही पहचान है. उन्हें ना केवल अपने आप को एक मुकाम तक पहुंचाना था बल्कि अपने परिवार को भी साथ लेकर चलना था उनकी मां और उनके पापा के लाडले थे इश्मीत.उनके परिवार में उनकी माता जी जगदीश कौर जो गृहणी है और उनके पिता संतोष सिंह जी जिन्हें इश्मीत ने अपनी 13 साल की उम्र में ही खो दिया.पर उनकी माता जी ने कभी इस चीज का एहसास होने नहीं दिया क्योंकि हर संकट की घड़ियो सें ढालने की सीख इश्मीत को देती रहती. इसके अलावा उनकी पड़ोसी अमरी देवी जिन्होंने इश्मीत सिंह के बचपन की परवरिश में काफी सहायता और सहयोग दिया आज वह हम सबके बीच नहीं है पर आज भी इश्मीत उन्हें याद कर रोते हैं और उनकी आदर करते हैं. इन्होंने कुछ प्रसिद्ध सीरियल्स और शॉर्ट फिल्म में भी अहम किरदार की भूमिका निभाई है इसके अलावा उन्होंने थिएटर और पंजाबी नाटक, मॉडलिंग ,नृत्य ,संगीत एल्बम में भी काम किया है.उन्होंने एंड मॉडलिंग, प्रिंट और भी कई ब्रांड्स और कारपोरेट हाउस में काम करने का गौरव प्राप्त किया है इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड हिंदी फिल्म ‘चोर कंपनी’ में एक गैंगस्टर “मलिक भाई” और फिल्म ‘ब्रीड’ में “परवेज राणा” के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई है.]]>