के साथ इस महोत्सव का हिस्सा होंगी । पैडी फील्ड्स यानि धान के खेत इस बात का द्योतक है कि यह सांगितिक कार्यक्रम अपनी आंचलिक कलाधर्मिता से संपृक्त है। ज़मीन से जुड़ी इस प्रस्तुति में सभी प्रतिभागी अपने क्षेत्र विशेष के लोक शास्त्रीय गायन – वादन प्रस्तुत करेंगी। इसका विशेष आकर्षण है “फोक विद फ्यूजन” अर्थात् लोक गायन में आधुनिक व पाश्चात्य संगीत का सुंदर संयोग। क्षेत्रीयता को राष्ट्रीय स्तर पर समायोजित करना भी एक बड़ा उद्देश्य है “पैडी फील्ड्स” का।लेकिन, इस आयोजन का सरप्राइज़ पैक है कल्पना पटवारी का भोजपुरी गायन। आज जहाँ अधिकांश लोग भोजपुरी फिल्मों को दूहने में लगे हैं, वहीं असम में जन्मी, पली बढ़ी कल्पना भोजपुरी गीत, संगीत, साहित्य को न सिर्फ समृद्ध करने में जुटी हैं बल्कि उसे एक वैश्विक मंच दिलाने हेतु जी जान से लगी हैं। भोजपुरी की आंचलिक मिठास से जहाँ भोजपुरी के तथाकथित पुरोधा लोग अनभिज्ञ हैं, कल्पना उसी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयत्नशील हैं। आदि रचनाकार के रूप में कभी कबीर दास जैसे संत कवि जिस बोली भाषा को समृद्ध किया, भिखारी ठाकुर ने महिमामंडित किया, उसकी प्रतिष्ठा वापस दिलाने के निमित कल्पना अपने मिशन पर अटूट आस्था के साथ भिड़ी हुई हैं। “छपरहिया पूर्वी” पर पुरूष लोकगायकों के एकाधिकार को कल्पना ने ही चुनौती दी और पूर्वी को रिकॉर्ड करनेवाली वह पहली गायिका बनी। “ओ रे कहारो..” (बेगम जान), गंदी बात ( आर राजकुमार ) जैसे हिट बॉलीवुड गाने गा चुकी कल्पना द्वारा इस आयोजन में भोजपुरी के संस्कार गीत गायेंगी। छठ गीत, विछोह गीत, विद्रोह गीत सब रहेगा। भिखारी ठाकुर और संत कबीर की रचनाएं नये फ्यूजन फोक शैली में सुनने को मिलेगा। संगीत विशारदा कल्पना पटवारी भोजपुरी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कुछ उसी प्रकार स्थापित करने की आकांक्षिणी हैं, जैसा कमाल सितार के लिए पंडित रविशंकर, संतूर के लिए पंडित शिवकुमार शर्मा, सरोद के लिए उस्ताद अमजद अली खान और तबला के लिए ज़ाकिर हुसैन ने किया। इन्हीं विशेषताओं के कारण ही तीस भाषाओं मेंं गा चुकी पूर्वोत्तर की यह सिद्धहस्त गायिका पूर्वांचल की चहेती बन गयी है। ]]>